देश में आज भी जातीवाद-जातिगत भेदभाव कायम है. कई बार इस तरह की घटनाएं सामने भी नहीं आती. भारत में आज भी जाती के नाम इंसानों के साथ दरिंदो जैसा व्यवहार होता है, उनके हक़-अधिकारों से खिलवाड़ होती है.
ऐसे ही एक घटना कर्नाटक के कोप्पल जिले में सामने आयी. ये बहुत ही शर्मनाक और इंसानियत को कलंकित करनेवाली घटना है. एक दलित लड़के के माता-पिता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना इसलिए लगाया गया, क्योंकि उनका 2 साल का बेटा हनुमान मंदिर में गया। बेहद जातिवाद से परिपूर्ण इस मामले में लोगों ने आवाज उठाने के बाद , इस मामले में पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।
अधिकारी के मुताबिक, चार सितंबर को हुई इस घटना में पीड़ित के समुदाय की ओर से प्राप्त शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया। पुलिस के मुताबिक, दलित परिवार शिकायत दर्ज कराने से हिचक रहा था। जानकारी के मुताबिक, चेन्नादासर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले चंद्रशेखर चार सितंबर को अपने दो साल के बेटे को उसके जन्मदिन पर हनुमान मंदिर ले गए थे।
चूंकि यहां दलितों को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है, वे हमेशा बाहर से मंदिर के सामने खड़े होकर प्रार्थना करते थे। लेकिन उनका बेटा मंदिर के अंदर प्रवेश कर गया। इसके बाद उच्च जाति के लोगों ने पुजारी के साथ 11 सितंबर को एक बैठक बुलाई। इसमें मंदिर की शुद्धि को लेकर दलित दंपती से 25 हजार जुर्माना भरने की बात कही थी।
ये विडंबना ही है कि देश को आजाद हुए सात दशक से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी हम जाति प्रथा के चंगुल से मुक्त नहीं हो पाएं हैं।
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने अनु. जाती के लोगों को बुद्ध धम्म अपनाने की सलाह दी थी, फिर भी लोग अपने आपको अपमानित करने के लिए मंदिरों में क्यों जाते है ये सबसे बड़ा सवाल है.