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डॉ. बाबासाहब आंबेडकर को यूरोप के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एल्ब्रस पर अभिवादन

डॉ. बाबासाहब आंबेडकर को यूरोप के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एल्ब्रस पर अभिवादन

कुरनूल आंध्रप्रदेश के रहने वाले आठ वर्षीय गंधम भुवन जय ने 18 सितंबर को यूरोप के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एल्ब्रस को फतह किया। विशेष बात यह है की 8 साल के भुवन जाई यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचनेवाले सबसे कम उम्र के बालक बनें। माउंट एल्ब्रस यूरोप की सबसे ऊंची चोटी है, और सात शिखरों में से एक है. भुवन ने यहा पहुंचकर देश का तिरंगा फहराया साथ की उसने आपने आदर्श को नमन किया. भुवनजाई के हाथो में संविधान की प्रस्तावना के साथ भारत के राष्ट्रनिर्माता डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की तस्वीर वाला बैनर उसने गर्व से उंचा किया। गंधम के पिता चंद्रुडु आईएएस ऑफिसर है. उनके बेटे भुवन ने देश का नाम रोशन कर दिया है. भुवन से यूरोप के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एल्ब्रस पर अपने आदर्श राष्ट्रनिर्माता डॉ. बाबासाहब आंबेडकर को अभिवादन किया. तथा संविधान की प्रस्तावना के साथ लोगों को समानता, भाईचारा का संदेश भी दिया.

भुवन के हाथ में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की तस्वीर हमें यह दर्शाती है की अगर हमें उचित अवसर दिए जाएं तो हम किसी भी ऊंचाई तक पहुंच सकते है. सफाई कर्मचारी आंदोलन के संयोजक बेजवाड़ा विल्सन ने ट्वीट कर गंधम भुवन को बधाई दी है.

माउंट एल्ब्रस पर चढ़ने से पर्वतारोहियों को बदलते मौसम और अत्याधिक शारीरिक तनाव का सामना करना पड़ता है। अनंतपुरम में ग्रामीण विकास ट्रस्ट (आरडीटी) के खेल कोच शंकरैया ने तीसरी कक्षा के छात्र भुवन को स्कूल में प्रशिक्षण दिया और उनका हौसला बढाया। पर्वतारोहीशंकरैया ने पिछले साल अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह किया था। भुवन को कडप्पा जिले में साहसिक खेल अकादमी, गंडिकोटा में तकनीकी और ऊंचाई प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

5642 मीटर की ऊंचाई के साथ, माउंट एल्ब्रस एक अच्छी चढ़ाई है जिसे पार करने के लिए पर्वतारोहण कौशल की आवश्यकता होती है, हालांकि ऊंचाई और अप्रत्याशित मौसम इस साहसिक यात्रा के लिए एक चुनौती हैं। काबर्डिनो-बलकारिया के रूसी गणराज्य में स्थित है,

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