कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन को लेकर मोदी सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है. उन्होंने इसके जरिए मोदी सरकार पर दिनदहाड़े डकैती करने का आरोप लगाया है. मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिदंबरम ने कहा कि अगर वित्त मंत्री चाहें तो अपना एक घर मुझे 99 साल के लिए लीज पर दे सकती हैं, चाहें तो उसके कागज वे अपने पास रखें. पूर्व वित्त मंत्री आगे बोले कि यह मुद्रीकरण एक क्लोजिंग डाउन सेल है. चिदंबरम ने आगे नौकरियों पर चिंता जताई. उन्होंने पूछा कि कहीं भी क्या कोई ऐसा कागजात है जिसमें कहा गया वो कि PSU में जो आरक्षण फिलहाल मिलता है वह मुद्रीकरण के बाद लागू रहेगा.
पी.चिदंबरम ने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी ने सत्ता में रहते हुए, घाटे में चल रही संपत्तियों का मौद्रिकरण किया, जबकि नरेंद्र मोदी सरकार इसके उलट कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी सामरिक महत्व वाली संपत्तियों को नहीं बेचा. चिदंबरम ने जोर देकर कहा, ‘हमने हमेशा सुनिश्चित किया कि किसी तरह का एकाधिकार नहीं होना चाहिए.’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के अनुसार, सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि छह लाख करोड़ रुपये के राजस्व का उपयोग 2021-22 के दौरान 5.5 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे के संदर्भ में आंशिक रूप से नहीं होगा.
उन्होंने मुंबई में कहा, ”वित्त मंत्री का कहना है कि 1.5 लाख करोड़ मिलेंगे लेकिन उन्हें यह भी बताना चाहिए कि वर्तमान राजस्व क्या है? मान लें कि मौजूदा राजस्व 1.60 लाख करोड़ है. वह इसका निजीकरण करेंगी और केवल 1.5 लाख करोड़ प्राप्त करेंगी. उन्होंने आगे कहा, ”मान लें कि वर्तमान राजस्व 1.3 लाख करोड़ रुपए है, उन्हें केवल 20,000 करोड़ रुपए अतिरिक्त मिल रहे हैं. 20 हजार करोड़ रुपए के लिए, आप वह सब बेच देंगे जो 70 वर्षों में बनाया गया है? यह निंदनीय है. यह दिनदहाड़े डकैती है. ”
नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के तहत आठ मंत्रालयों की प्रॉपर्टी प्राइवेट कंपनियों के साथ साझा की जा सकती है या किराये पर दी जा सकती है. रेलवे, टेलीकॉम, रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे, बिजली, युवा मामले और खेल, नागरिक उड्डयन, पेट्रोलियम और नेचुरल गैस, शिपिंग, पोर्ट्स और वाटरवेज को बेचकर सरकार मुनाफा कमाना चाहती है।
1 Comment