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कोरोना संकट में थाईलैण्ड के बौद्ध भिक्खु तथा उपासकों द्वारा भारत को सहायता

कोरोना संकट में थाईलैण्ड के बौद्ध भिक्खु तथा उपासकों द्वारा भारत को सहायता

आज देश के कई हिस्सों में कोरोना संक्रमण फ़ैल गया है और कई लोगों की मृत्यु हो रही है. हॉस्पिटल, मेडीसिन्स, ऑक्सिजन आदी कम पड रहे है.
दुनिया में भारत की पहचान बुध्दभूमी के रूप में है और इसके चलते अब बौद्ध देशों की बौद्ध जनता भारत की मदद के लिए सामने आ रही है.
प्रसिद्ध उद्योजिका रोजाना व्हॅनिच काम्बले तथा उनका थाईलैण्ड का मित्र परिवार भारत के हॉस्पिटल्स के लिए वेंटिलेटर्स, और लगभग दो सौ ऑक्सिजन कॉन्सन्ट्रेटर्स की मदद पहुँचाने वाला है.

इसके अतिरिक्त भारत के इस कोरोना विरुद्ध लड़ाई में थाईलैण्ड के पूज्य भदन्त जयासारो एवं उनके उपासक तथा व्हॅनिच मॅडम जहां बौद्ध स्थल है, जैसे बोधगया, राजगीर, नालंदा, सरनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ति, नागपुर, औरंगाबाद के बुद्ध विहारों तथा हॉस्पिटल्स को एम्बुलेन्स का दान देने वाले है.
इस मदद कार्य में समन्वयक का कार्य उनके पती डॉ. हर्षदीप काम्बले जो उद्योग विभाग के कमिश्नर तथा सचिव है वे ही कर रहे है. इस बौद्ध दम्पती ने संकट काल में पहल कर, दान करते हुए तथागत बुद्ध की शिक्षाओं की दान पारमिता दीखायी है.

वेंटीलेटर्स, ऑक्सिजन, कॉन्सन्ट्रेटर्स हॉस्पिटल के एम्बुलेन्स यह सब जीवनदान देनेवाली वस्तुऐं है. कोरोना काल में इसकी बड़ी आवश्यकता है. इस राहत सामग्री का सभी जरुरतमंदो को फायदा होगा इसलीए कई लोग उन्हें साधुवाद दे रहे है. अब से पहले भी रोजाना व्हॅनिच काम्बले ने डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर इनके स्वप्न का बुद्धिस्ट भिक्खु ट्रेनिंग सेन्टर बनाने में बड़ी सहायता की है.उन्हीं की दानभावना के कारण भदन्त बोधिपालो महाथेरो इनके मार्गदर्शन में और डॉ. हर्षदीप काम्बले इनकी पहल पर औरंगाबाद के चौका में लोकुत्तरा महाविहार तथा भिक्खु ट्रेनिंग सेन्टर का निर्माण हुआ.

रोजाना व्हॅनिच काम्बले एवं डॉ. हर्षदीप काम्बले इनके सामाजिक तथा धम्म कार्य के सम्बन्ध में महाराष्ट्र के अधिकांश लोग जानते है. संकट समय में काम्बले दम्पती की दानवृत्ती प्रत्तेक बौद्ध जन ने आदर्श लेने जैसी है.यह कुशल कम्म मतलब धम्म का आचरण कैसा हो इसका सर्वोत्तम उदाहरण है.

आज इस प्रचंड स्वार्थि दुनिया में अधिकांश लोग अपने स्वयं के परीवार से अनन्तर जीवन जीते हुए नहीं दीखते। बीते वर्ष ही डॉ. हर्षदीप काम्बले एवं रोजाना व्हॅनिच काम्बले ने समाज के गरीब, होनहार एवं जरुरतमंद बच्चों का लालन-पालन एवं शिक्षा के लिए अपने स्वयं के बच्चे ही ना हो यह प्रचंड आश्चर्यकारी तथा अविश्वसनीय निर्णय लिया।

हम समाज के कुछ देनदार है. इसी भावना से अपना सर्वस्व समाज को अर्पण करने की मंशा से काम्बले दम्पती ने आधिकारिक एवं महत्वपूर्ण पद पर आसीन होकर संसार के सारे सुखो का उपभोग किया जा सकता है यह जानकर भी अपनी जरुरतें सीमित रखी है.

तथागत बुद्ध ने जीन दस पारमिताओं का पालन करने के लिए कहा है उनमें दान पारमिता बड़ी महत्वपूर्ण है. साथ ही साथ प्रतित्य-समुत्पाद के तत्वानुसार समूचा संसार एक-दूसरे पर निर्भर है. यह समय एक-दूसरे की मदद करने वाला समय है.
बुद्ध विचार तथा आचरण से दान पारमिता का पालन करें। इसके जैसा कोई दूसरा कुशल कम्म नहीं। यही संदेश आदर्श बुद्धिस्ट काम्बले दम्पती दे रहे है. हम भी सभी बढ़-चढ़कर के दूसरे की मदद करें और ऐसे ही कुशल कम्म कर इस बुद्ध पूर्णिमा पर तथागत को वंदन करें। यहीं बिनती है. निवेदन है. अनुरोध है.

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