Periyar E. V. Ramasamy नायकर की जयंती आज देश-दुनिया में धूमधाम से मनाई गई। तमिलनाडु में आज पेरियार साहब की जयंती को सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाया गया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने पेरियार की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। तमिलनाडु में पेरियार जयंती को सामाजिक न्याय के रूप में मनाने का एलान पहले ही कर दिया गया था।
राज्य सरकार के कार्यालयों में कर्मचारियों ने आज के दिन आत्म-सम्मान, तर्कवाद, भाईचारे, समानता, मानवतावाद और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करने का संकल्प लिया।
मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि पेरियार ने तमिलनाडु के लोगों के मन में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाई थी। उन्हें प्यार से थनथाई पेरियार भी कहा जाता है। स्टालिन ने कहा कि पेरियार ने हमेशा पिछड़े वर्गो के साथ-साथ अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों को बरकरार रखा था और इन श्रेणियों के लोगों के सामाजिक उत्थान के लिए उनकी प्रतिबद्धता ने 1951 में भारत के संविधान का पहला संशोधन किया था।
पेरियार ई. वी. रामास्वामी का तमिलनाडु के सामाजिक- राजनीतिक परिदृश्यों पर इतना गहरा असर है कि कम्युनिस्ट से लेकर दलित आंदोलन विचारधारा, तमिल राष्ट्रभक्त से तर्कवादियों और नारीवाद की ओर झुकाव वाले सभी उनका सम्मान करते हैं, उनका हवाला देते हैं और उन्हें मार्गदर्शक के रूप में देखते हैं.
पेरियार का मानना था कि समाज में निहित अंधविश्वास और भेदभाव की वैदिक हिंदू धर्म में अपनी जड़ें हैं, जो समाज को जाति के आधार पर विभिन्न वर्गों में बांटता है जिसमें ब्राह्मणों का स्थान सबसे ऊपर है. इसलिए, वो वैदिक धर्म के आदेश और ब्राह्मण वर्चस्व को तोड़ना चाहते थे. एक कट्टर नास्तिक के रूप में उन्होंने भगवान के अस्तित्व की धारणा के विरोध में प्रचार किया.
उनकी पहचान तर्कवाद, समतावाद, आत्म-सम्मान और अनुष्ठानों का विरोधी, धर्म और भगवान की उपेक्षा करने वाले, जाति और पितृसत्ता के विध्वंसक के रूप में है.