तमिलनाडु विधानसभा में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट से छूट देने वाला विधेयक पास कर दिया गया। इस विधेयक में राज्य के मेडिकल स्टूडेंट्स को नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) से स्थायी छूट देने के लिए राष्ट्रपति की सहमति मांगी गई है। इस विधेयक में 12वीं के मार्क्स से मेडिकल कोर्सेज में दाखिले का सुझाव दिया गया है। विधानसभा में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विधेयक पेश करते हुए अन्य पार्टियों से इस बिल को समर्थन देने का अनुरोध किया था।
दरअसल, एक छात्र द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद प्रदेश में नीट का मुद्दा गर्मा गया था और इसी विषय पर विधानसभा में भी भारी हंगामा हुआ। इस बिल के जरिए प्रदेश के छात्रों को नीट से स्थायी छूट दिलाने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी की मांग की है। मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक समेत समूचे विपक्ष ने विधेयक का समर्थन किया वही भाजपा ने वाकआउट किया।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु में पहली बार नीट का आयोजन तब किया गया जब पलानीस्वामी मुख्यमंत्री थे और यह उस समय भी नहीं किया गया था जब जयललिता मुख्यमंत्री थीं। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में जिन छात्रों ने भी आत्महत्याएं की वह पलानीस्वामी के मुख्यमंत्री रहते हुई।
विपक्षी दल के नेता के पलानीस्वामी ने सलेम में रविवार को आत्महत्या करने वाले 19 वर्षीय छात्र धनुष का मुद्दा उठाया और सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि द्रमुक ने नीट को रद्द करने का वादा किया था लेकिन यह नहीं किया गया और बहुत से छात्र इसके लिए तैयार नहीं थे। पलानीस्वामी के कुछ बयानों को विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पवु ने रिकॉर्ड से हटा दिया।
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