केरल के मंत्री साजी चैरियन ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। मालूम हो कि उन्होंने एक कार्यक्रम में भारतीय संविधान की आलोचना की थी। इसके बाद विपक्षी दलों ने उनके इस्तीफे की मांग की थी। चेरियन ने कहा कि इस्तीफा देने का फैसला उनका अपना है। मैंने कभी संविधान को बदनाम नहीं किया। भाषण का एक खास हिस्सा लिया गया और मीडिया ने इसे CPI (M) और LDF को कमजोर करने के लिए गढ़ा।
दरअसल, संविधान में सबके लिए समान अधिकार, समान हक और न्याय है, सभी के लिए इक्वल वोटिंग राइट्स है लेकिन केंद्र और राज्य सरकारे भेदभावपूर्ण और पक्षपाती रवैया अपनाती है. संविधान में कल्याणकारी राज्य की संकल्पना है, लेकिन सरकारें इसका पालन नहीं करती और दोष संविधान को दिया जाता है. याद रहें की इससे पहले बीजेपी के पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने संविधान का अपमान किया था लेकिन बीजेपी ने उनपर कोई एक्शन नहीं लिया था. हेगड़े ने कहा था की भाजपा देश के संविधान को बदलेगी और उसमें से ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटा लिया जाएगा.
चेरियन ने कहा कि हम सभी कहते हैं कि हमारे पास एक सुंदर लिखित संविधान है। लेकिन, मैं कहूंगा कि संविधान इस तरह से लिखा गया है कि इसका इस्तेमाल देश के लोगों को लूटने के लिए किया जा सकता है। भारतीय संविधान श्रमिक वर्ग के लिए उचित नहीं है क्योंकि उनके लिए कोई सुरक्षा नहीं है।
आगे चेरियन ने कहा कि संविधान वह है जो अंग्रेजों ने तैयार किया और भारतीयों ने लिखा है। यह कुछ ऐसा है जो लूट की अनुमति देता है और श्रम के लिए कुछ भी नहीं। 75 साल से इस सिस्टम का गर्व से पालन किया जा रहा है।
इस बयान के बाद केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा की सार्वजनिक पद पर बैठे लोगों का कर्तव्य है कि वे संविधान और कानून-व्यवस्था को बनाए रखे। CM को सूचित किया गया है, CM स्पष्टीकरण मांग चुके हैं। अभी मैंने कोई रिपोर्ट नहीं मांगी है, हम निगरानी रख रहे हैं।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन सहित कई लोगों ने भी चेरियन की विवादास्पद टिप्पणी के लिए आलोचना की। सतीशन ने कहा कि अगर विजयन कार्रवाई नहीं करते हैं, तो हम कानूनी सहारा लेंगे।
पार्टी ने किया बचाव
हालांकि चेरियन की वकालत करते हुए CPI(M) ने कहा कि चेरियन के बयान को गलत संदर्भ में लिया गया है। साथ ही कहा कि वह संविधान के सम्मान में कुछ कमियों की ओर इशारा कर रहे थे। चेरियन ने भी अपनी संविधान विरोधी टिप्पणी के लिए माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि मैं एक लोक सेवक हूं जो हमारे संविधान का सम्मान करता है और इसके महान मूल्यों को बनाए रखता है। मेरा कभी भी संविधान का अपमान करने या इसके खिलाफ कुछ भी कहने का इरादा नहीं था। लेकिन काफी दबाव और देशभर लोगों के विरोध के बाद आखिरकार चेरियन ने इस्तीफा दे दिया.