बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने लिखा है कि मीडिया आउटलेट्स के ये प्री-पोल सर्वे स्पॉन्सर्ड होते हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि इससे वोटर्स को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है. उन्होंने सितंबर महीने में जारी किए गए एक न्यूज चैनल के प्री-पोल सर्वे का हवाला भी अपने पत्र में किया है. बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने लखनऊ में मा. कांशीरामजी की स्मृति में आयोजित सभा में चुनावी सर्वे को रोकने की बात कही थी. जिसके बाद आज आधिकारिक रूप में बसपा ने चुनाव आयोग को खत लिखा.
सतीश मिश्रा ने लिखा है कि बीएसपी इस सर्वे को लेकर हैरान रह गई क्योंकि इसमें सत्तारूढ़ दल को काफी सीटें जबकि बीएसपी को काफी कम सीटें दिखाई गईं हैं. उन्होंने कहा कि यूपी विधानसभा चुनावों से महज 6 महीने पहले ऐसा कर बीएसपी कार्यकर्ताओं के मनोबल को तोड़ने की कोशिश की गई है.
सतीश मिश्रा ने आरोप लगाया कि इस सर्वे को यूपी के वोटर्स को भ्रमित करने के उद्देश्य से जारी किया गया. उन्होंने कहा कि कोविड की दूसरी लहर के कुप्रबंधन, गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी को लेकर लोगों के अंदर पैदा हुए बीजेपी के खिलाफ भयंकर रोष को इस सर्वे में जानबूझकर नजरंदाज किया गया.
बीएसपी ने कहा है कि इस सर्वे में महज कुछ हजार लोगों के इंटरव्यू के आधार पर अनुमान लगाए गए हैं, जबकि यूपी में 15 करोड़ वोटर्स हैं. इस तर्क के आधार पर बीएसपी ने सर्वे को आधारहीन, अविश्वसनीय और भ्रामक बताया है. बीएसपी ने चुनाव आयोग से मांग की है कि फ्री और फेयर इलेक्शन के लिए यूपी चुनावों के 6 महीने पहले से प्री पोल सर्वे पर रोक लगाई जाए.
आपको बता दें कि पिछले कुछ महीनों के भीतर आए लगातार दो प्रीपोल सर्वे में यूपी के आगामी चुनावों में बीएसपी की कमजोर हालत के संकेत दिखाए गए हैं. पहले भी बीएसपी अध्यक्ष मायावती इन चुनावी सर्वे को खारिज करते हुए इन्हें बीजेपी की साजिश बता चुकी हैं. पर इस बार बीएसपी ने इस मामले में चुनाव आयोग से लिखित मांग की है.