जजों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच चल रहे टकराव की गूंज संसद में भी उस वक्त सुनने को मिली जब प्रश्न काल में लंबित केसों का सवाल उठा। सुप्रीम कोर्ट के साथ जुबानी जंग के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने फिर जोर देकर कहा कि जजों की नियुक्ति में सरकार की बहुत सीमित भूमिका है। रिजिजू बड़ी संख्या में लंबित मामलों पर संसद में एक सवाल का जवाब दे रहे थे। रिजिजू ने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक है कि देश भर में पांच करोड़ से अधिक केस लंबित हैं। उन्होंने कहा कि इसके पीछे मुख्य कारण जजों की नियुक्ति है। उन्होंने अनु. जाती-जनजाति और ओबीसी के जजेस सुप्रीम कोर्ट में ना होनेपर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा की कॉलेजियम प्रणाली विविधता का ध्यान नहीं रखती.
रिजिजू ने कहा, 2015 में लोकसभा और राज्यसभा ने सर्वसम्मति से नैशनल जुडिशल अपॉइंटमेंट कमिशन ऐक्ट को पारित किया था। और साथ-साथ में 2 तिहाई राज्यों ने भी अपनी सहमति दी थी, इसके बाद यह यहां पारित हुआ था। देश संविधान से चलता है और देश की संप्रभुता लोगों के पास है। लोगों की भावना से देश चलता है और संविधान के मुताबिक चलता है। सरकार की तरफ से पूरी ताकत और योजना के तहत पेंडेंसी को कम करने की कोशिश हो रही है। कई कदम उठाए गए हैं।’
उन्होंने कहा, “मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि ऐसा लग सकता है कि सरकार न्यायपालिका में हस्तक्षेप कर रही है, लेकिन संविधान की भावना कहती है कि जजों की नियुक्ति करना सरकार का अधिकार है. यह 1993 के बाद बदल गया.”
रिजिजू ने कहा, ‘मैंने भारत के उच्चतम न्यायालय के लिए भली नीयत से कुछ टिप्पणियां की हैं कि आप उन्हीं मामलों पर सुनवाई करें जो प्रासंगिक हैं. यदि सर्वोच्च न्यायालय जमानत याचिकाओं या बेतुकी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करते है तो इससे बहुत अधिक अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा.’
उनकी टिप्पणी पर विपक्ष के नेताओं ने आपत्ति जताई है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने ट्वीट करते हुए पूछा कि क्या वह (रिजिजू) स्वतंत्रता का मतलब भी जानते हैं?
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ‘उन्होंने शायद कभी जस्टिस कृष्ण अय्यर का लिखा- जेल नहीं, जमानत नियम है- नहीं पढ़ा. कैसे एक कानून मंत्री यह कह सकता है कि सुप्रीम कोर्ट को जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए.’
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘एनजेएसी को भूल जाइए, सरकार न्यायपालिका को माइक्रो मैनेज करना चाहती है, छुट्टियों में कटौती, जमानत को प्राथमिकता न देना, वगैरह. आगे क्या?’
मालूम हो कि केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू पिछले कुछ समय से न्यायपालिका, सुप्रीम कोर्ट और कॉलेजियम प्रणाली पर हमलावर बने हुए हैं.