टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में अर्जेंटीना से भारतीय महिला हॉकी टीम हार गई थी. इसके बाद टीम की सदस्य वंदना कटारिया के घर के बाहर जातिवादी हंगामा करने के आरोप में हरिद्वार पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया है. हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सेंथिल अवूदई कृष्णराज एस. ने बताया कि वंदना के भाई चंद्रशेखर कटारिया की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मामले में तीन नामजद सहित अन्य अज्ञात आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करते हुए एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है.हरिद्वार के एसएसपी ने बताया कि ये गिरफ़्तारी एससी/एसटी एक्ट के तहत की गई है.मुख्य आरोपी विजय पाल (25) को मुखबिर की सूचना के आधार पर सुबह रोशनाबाद स्टेडियम गेट के पास से गिरफ्तार किया गया, जबकि अन्य दो नामजद आरोपी अंकुर पाल और सुमित चौहान की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
भारतीय महिला हॉकी टीम की स्टार फॉरवर्ड वंदना कटारिया ने उनके परिवार के ऊपर की गई कथित जातिवादी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया दी है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कटारिया ने कहा कि वो और उनकी साथी खिलाड़ी देश के लिए खेल रही हैं और इस तरह की जातिवादी टिप्पणियां नहीं होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि वो आशा करती हैं कि लोग भारतीय महिला हॉकी टीम को सपोर्ट करेंगे.
दरअसल, चार अगस्त को वंदना कटारिया के परिवार ने कुछ लोगों पर जातिवादी टिप्पणियां करने का आरोप लगाया था. परिवार की तरफ से कहा गया कि टोक्यो ओलंपिक्स के सेमीफाइनल में अर्जेंटीना से हार के बाद कुछ लोगों ने उनके घर के बाहर पटाखे फोड़े और भारतीय महिला हॉकी टीम की हार का जश्न मनाया. आरोप यह भी लगे कि इन लोगों ने ना केवल वंदना कटारिया के परिवार के ऊपर जातिवादी टिप्पणियां की बल्कि यह भी कहा कि भारतीय महिला हॉकी टीम की हार इसलिए हुई है क्योंकि टीम में दलित खिलाड़ी ज्यादा हैं.
वंदना ने कहा कि उन्हें इस घटनाक्रम के बारे में जानकारी मिल चुकी है, लेकिन अभी तक उन्होंने अपने परिवार से बात नहीं की. उन्होंने कहा,
“इस तरह की जातिवादी टिप्पणियां नहीं होनी चाहिए. सिर्फ हॉकी के बारे में सोचें. हम युवा लड़कियां हैं. और हम लोग देश के लिए खेल रहे हैं. तो हम सबको एक होना चाहिए. मतलब हर चीज को एक होना चाहिए.”
आज हर किसी की जुबां पर सिर्फ और सिर्फ वंदना कटारिया का ही नाम सुनने को मिल रहा है। साउथ अफ्रिफा के खिलाफ उन्होंने कमाल का खेल दिखाते हुए हमेशा-हमेशा के लिए अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करवा लिया। वंदना ‘करो या मरो’ वाले मुकाबले में अफ्रीकी टीम के खिलाफ तीन गोल दागे और ओलंपिक में हैट्रिक बनाने वाली भारतीय की पहली महिला खिलाड़ी बन गई। वंदना से पहले किसी ने भी 125 सालों के इतिहास में महिला हॉकी में हैट्रिक नहीं बनाई थी।
टोक्यो ओलंपिक्स तक पहुंचने के लिए वंदना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जब वो बड़ी हो रही थीं, तो पुरुषप्रधान लोग नहीं चाहते थे कि वो हॉकी खेलें. वंदना के पिता नाहर सिंह ने उनका साथ दिया. उन्होंने हर उस शख्स का मुकाबला किया, जो वंदना को आगे नहीं बढ़ने देना चाहता था. तीन महीने पहले वंदना के पिता की मृत्यु हो गई. वे अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाईं क्योंकि उस वक्त कोरोना वायरस महामारी फैली थी. और वंदना बेंगलुरु में बॉयो बबल में रहते हुए ओलंपिक्स के लिए प्रैक्टिस कर रही थीं.रोशनाबाद गांव की तंग गलियों में वंदना कटारिया का घर है. गलियां इतनी तंग हैं कि उनके घर तक गाड़ी पहुँचना संभव नहीं है.
वंदना ने अपने प्रोफेशनल हॉकी की शुरुआत मेरट से की थी। वो लखनऊ स्पोर्ट्स हॉस्टल पहुंची लें आर्थिक तंगी के कारण अच्छी हॉकी स्टिक और किट नहीं खरीद पाई। पैसे की तंगी का सामना करने के बाद उन्होंने अपने हौसलों को पस्त नहीं होने दिया। 2010 में राष्ट्रीय हॉकी टीम में चुने जाने के बाद अगले ही साल स्पोर्ट्स कोटे से रेलवे में जूनियर TC पद पर उनकी नौकरी लगी तब जाकर उनकी आर्थिक तंगी कम हुई।
इसी बीच कई बहुजन संगठनों से जुड़े लोगों का वंदना कटारिया के घर आने-जाने का सिलसिला जारी है. कई लोग पोस्टर बैनर लेकर वंदना कटारिया के घर उनके समर्थन में नारेबाज़ी करते हुए नज़र आए. ये लोग नारे लगाते हुए पटाखे फोड़ने वाले लोगों पर देशद्रोह और एनएसए के तहत कार्रवाई की माँग कर रहे थे.