भारत में जातिवाद कितने ऊंचाई पर है इसके सन्दर्भ में रोज नई घटनाएं सामने आती है. दलित कितनी भी ऊंचाई क्यों ना हासिल करें, जाती का दंश हमेशा उनके साथ होता है.ऐसी ही शर्मनाक घटना भारतीय महिला हॉकी टीम होनहार, शानदार प्लेयर वंदना कटारिया के साथ हुई है. तोक्यो ओलिंपिक में महिला हॉकी के सेमीफाइनल मुकाबले में अर्जेंटीना के हाथों हार के बाद हरिद्वार के कुछ लोगों ने अपना जातिवादी रंग दिखा दिया.हरिद्वार में भारतीय हॉकी टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया के घर के बाहर पटाखे फोड़ने और जातिगत टिप्पणी किए जाने की घटना सामने आई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आरोपियों ने कहा कि ‘कई सारे दलित खिलाड़ियों की वजह’ से हार मिली।’
हरिद्वार के रोशनाबाद गांव में फॉरवर्ड प्लेयर वंदना कटारिया के घर पर यह घटना हुई। उनके भाई शेखर ने बताया, ‘टीम की हार से हम सभी दुखी थे। लेकिन इस बात का गर्व है कि लड़ते हुए हार मिली। मैच के थोड़े ही देर के बाद घर के बाहर पटाखों का शोर सुनाई दिया। बाहर जाकर देखा तो गांव के ही उच्च जाति के दो युवक नाच रहे थे।’
शेखर की तरफ से पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार परिवार के लोग बाहर निकले तो पटाखे जलाकर डांस कर रहे युवकों ने जातिगत टिप्पणी शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि टीम में कई दलित खिलाड़ियों की वजह से ही हार मिली है। आरोपियों ने कहा कि केवल हॉकी ही नहीं, बल्कि हर एक खेल से दलितों को दूर रखना चाहिए।
एफआईआर के अनुसार आरोपियों ने परिवार के सदस्यों का अपमान किया और शर्ट उतारकर नाचने लगे। सिडकुल थाने के एसएचओ एल. एस. बुटोला ने बताया कि शिकायत के आधार पर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में जांच जारी है। भारत जैसे 135 करोड़ के देश में पहली बार भारतीय महिला हॉकी टीम सेमिफाइनल तक पहुंच गई थी. इससे पहले की मैच में वंदना कटारिया ने 3 गोल दागकर भारत की उम्मीदे जगाई थी. लेकिन फिर कुछ जातिवादी लोगों को विशेषता ब्राह्मण उच्चवर्णीय लोगों को ये रास नहीं आया. और उन्होंने अपना जातिवादी रंग दिखा दिया. खेल में हार-जीत होती रहती है. अक्सर भारत के सभी टीमों में उच्चवर्णीय ज्यादा होते है. इसके कारण भारत मैडल भी नहीं जीत पाता, लेकिन जैसे ही दलितों की एंट्री होती है तो इन्हे साप सूंघने लग जाता है.