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भारत एक लाख से अधिक स्कूलों में सिर्फ एक टीचर, 11 लाख शिक्षकों की है जरूरत

भारत एक लाख से अधिक स्कूलों में सिर्फ एक टीचर, 11 लाख शिक्षकों की है जरूरत

यूनेस्को की रिपोर्ट में भारत के स्कूलों की दुर्दशा सामने आयी है .वास्तविकता ये है की देश के एक लाख से अधिक स्कूलों में सिर्फ एक टीचर हैं. रिपोर्ट में यह सामने आया कि ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों की बहुत ज्यादा जरूरत है. राइट टु एजुकेशन के पैरामीटर के अनुसार एक स्कूल में कम से कम 6 फुल टाइम टीचर होने चाहिए. दूसरी ओर देश के स्कूलों में कुल 19 फीसदी यानी 11.16 लाख शिक्षकों के पद रिक्त हैं. ग्रामीण इलाकों के 69 प्रतिशत स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. अगर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई तो स्कूलों के हालात और खराब हो जाएंगे, क्योंकि अभी पढ़ा रहे करीब 5 फीसदी टीचर अगले 5 साल में रिटायर हो जाएंगे.

2018-19 के अनुसार, भारत में सरकारी, प्राइवेट, गवर्नमेंट एडेड, मदरसा और गैर मान्यता प्राप्त मिलाकर15 लाख 51 हजार स्कूल हैं, जिनमें 24 करोड़ 83 लाख 38 हजार 582 स्टूडेंट पढ़ते हैं. इन्हें पढ़ाने के लिए स्कूलों में कुल 94 लाख 30 हजार 839 टीचर हैं . देश के 67 प्रतिशत स्कूल सरकारी हैं, जिनमें देश के 49 फीसद यानी 12 करोड़ 25 लाख 83 हजार 743 बच्चे पढ़ते हैं. सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स की संख्या 47 लाख 44 हजार 570 है. यूनिसेफ का कहना है की सरकार के इस रवैये से एक महत्‍वपूर्ण निवेश अवसर छूट जाता है और ये बच्‍चे शुरुआत से ही विषम असमानताओं का सामना करते हैं। कम आय वाले देशों में, यह स्थिति और भी अधिक निराशाजनक है, जहां इस आयु वर्ग का 5 में से केवल 1 छोटा बच्‍चा प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए नामांकित है।

प्री-प्राइमरी शिक्षा पर यूनिसेफ की पहली वैश्विक रिपोर्ट में बताया गया है कि कम से कम एक वर्ष के लिए प्री-प्राइमरी शिक्षा में नामांकित कराए गए बच्‍चों के स्‍कूल में सफल होने के लिए आवश्‍यक महत्‍वपूर्ण कौशल विकसित करने की संभावना अधिक होती है, कक्षा में अनुत्‍तीर्ण होने अथवा स्‍कूल छोड़ने की संभावना कम होती है और इस प्रकार वे व्यस्क होने पर शांतिपूर्ण और संपन्‍न समाज और अर्थव्‍यवस्‍था में योगदान देने में सक्षम होते हैं।

यूनेस्को (UNESCO) की रिपोर्ट के अनुसार, देश के प्राथमिक स्कूलों में औसतन 73 छात्र पढ़ते हैं. ग्रामीण इलाकों में स्टूडेंटस की संख्या 64 है. इसी तरह क्लास एक से क्लास 8 तक पढ़ाने वाले स्कूलों में औसतन 172 बच्चे पढ़ते हैं. राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षकों और छात्रों की संख्या के हिसाब-किताब के बाद यह निष्कर्ष आया है कि यानी औसतन 26 छात्रों के लिए एक शिक्षक मौजूद हैं. जबकि नियम के अनुसार बेहतर शिक्षा के लिए 15 स्टूडेंट्स के लिए एक शिक्षक होना चाहिए.

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