उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी का एक और स्तंभ ढह गया है। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी को जोरदार झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। लेकिन उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तारीफ करते हुए बेटे कमलाकांत को समाजवादी पार्टी ज्वाइन कराने का ऐलान कर दिय। वही बसपा पर निशाना साधते हुए उसे मिशन से भटकी हुई पार्टी बताया है।
एक भावनात्मक पत्र में सुखदेव राजभर ने कहा कि जिस तरह से बहुजन आंदोलन दिन-ब-दिन कमजोर होता जा रहा है और जिस तरह से सरकार वंचितों की आवाज दबा रही है, उससे वह स्तब्ध हैं।
उन्होंने बसपा संस्थापक कांशीराम के साथ अपने जुड़ाव को याद किया और अफसोस जताया कि बहुजन आंदोलन अब उतना धारदार नहीं रहा है। उन्होंने बिना किसी की नाम लिए बसपा पर निशाना साधते हुए लिखा कि बदली परिस्थितियों में हमारे समाज और मिशनरी लोगों को स्वार्थी तत्वों के दबाव में बाहर किया जा रहा है। इन्हीं स्वार्थी तत्वों ने बहुजन मूवमेंट को कमजोर किया है। सुखदेव राजभर ने कहा है कि उन्हें खुशी है कि उनके बेटे ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में वंचितों के लिए अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने का फैसला किया है।
राजभर ने अपने पत्र में कहा, “इसलिए मैंने अपने बेटे को अपनी राजनीतिक विरासत संभालने और गरीबों के उत्थान के लिए अपने संघर्ष को जारी रखने के लिए पीछे हटने और रास्ता बनाने का फैसला किया है।”सुखदेव राजभर द्वारा बसपा छोड़ने और अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे को सौंपने की घोषणा समाजवादी पार्टी के लिए एक बड़े लाभ के रूप में देखा जा रहा है।
यह बसपा के लिए भी एक बड़ा नुकसान है। सुखदेव राजभर एक प्रतिबद्ध बसपा नेता रहे हैं और राजभर समुदाय में उनका काफी दबदबा है। आजमगढ़ के दीदारगंज से पांच बार विधायक और बसपा के दिग्गज रहे, वह अपनी गैर-विवादास्पद छवि और बसपा के प्रति वफादारी के लिए जाने जाते हैं।