बात 2003 की है, तिब्बत के साक्या बौद्ध मठ में पुस्तकालय मिला, पुस्तकालय में 84,000 पुराने प्रकार की लिखी हुईं किताबें मिलीं, जानकारी के अभाव में सैकड़ों साल से इन्हें कोई छुआ तक नहीं था…..
विचार कीजिए कि एक छोटे से बौद्ध देश के एक छोटे विहार में इतनी पुस्तकें थीं, तब एक बड़े बौद्ध देश के नालंदा महाविहार में कितनी पुस्तकें रही होंगी…..
कोई आश्चर्य नहीं कि नालंदा महाविहार का महा पुस्तकालय जलाए जाने के बाद भी पुस्तकें 3 माह तक धू – धू कर जलती रहीं…..