Awaaz India Tv

तमिलनाडु में ब्राह्मण नहीं बहुजन पुजारी, लेकिन ऐसे धर्म को क्यों मानना ?

तमिलनाडु में ब्राह्मण नहीं बहुजन पुजारी, लेकिन ऐसे धर्म को क्यों मानना ?

तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार ने 100 दिन में 200 गैर-ब्राह्मण पुजारियों की नियुक्ति की घोषणा की है। जल्द ही 100 दिन का “शैव अर्चक’ कोर्स शुरू होगा, जिसे करने के बाद कोई भी पुजारी बन सकता है। नियुक्तियां तमिलनाडु हिंदू रिलीजियस एंड चैरिटेबल इंडॉमेंट डिपार्टमेंट (एचआर एंड सीई) के अधीन आने वाले 36,000 मंदिरों में होंगी।

कुछ दिनों में 70-100 गैर-ब्राह्मणों पुजारियों की पहली लिस्ट जारी होगी। दूसरी ओर, यह फैसला सियासी रंग लेता जा रहा है। वरिष्ठ भाजपा नेता नारायणन तिरुपति कहते हैं कि तमिलनाडु के मंदिरों में हजारों साल पुरानी परंपरा है। मंदिरों में पहले से ब्राह्मण पुजारी हैं। प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष केटी राघवन ने कहा, सरकार चाहती है कि मंत्र तमिल में बोले जाएं। यह कैसे हो सकता है? ब्राह्मण पुजारी संघ के प्रतिनिधि एन. श्रीनिवासन कहते हैं कि 100 दिन का कोर्स करके कोई कैसे पुजारी बन सकता है? यह सदियों पुरानी परंपरा का अपमान है। ये ब्राह्मणों का अपमान है।

वहीं, डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा कि खुद को हिंदुओं की रक्षक बताने वाली भाजपा एक ही वर्ग के साथ ही क्यों खड़ी है? इस बीच, तमिलनाडु के धर्मार्थ मामलों के मंत्री पीके शेखर बाबू ने कहा है कि मंत्रालय के अधीन आने वाले मंदिरों में पूजा तमिल में होगी।

स्टालिन सरकार ब्राह्मणों का एकाधिकार समाप्त करना चाहती है ये बात तो ठीक है. लेकिन मनुवादी परंपरा का निर्वहन क्यों। लोगों को इस बात के लिए जागृत करने की आवश्यकता है की जो धर्मं आपको मंदिर का पुजारी बनने से रोकता हो, जो सिर्फ ब्राह्मणो को श्रेष्ठ और दूसरों को नीच मानता हो ऐसे धर्म की क्या जरुरत।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *