हमारे दौर के सबसे महत्वपूर्ण लेखकों में से एक डॉ. शरण कुमार लिंबाले को उनकी कृति “सनातन” के लिए इस साल का सरस्वती सम्मान दिया जाएगा। इस रचना की पृष्ठभूमि भीमा कोरेगाँव और उससे पहले का दलित उत्पीड़न है। के.के. बिरला फ़ाउंडेशन द्वारा दिए जाने वाले सम्मान में 15 लाख रुपए और मानपत्र होगा।
डॉ. लिंबाले अपनी अमर कृति “अक्करमाशी” के लिए हिंदी क्षेत्र में पहले से ही विख्यात हैं। दलित पैंथर से लेकर दलितों के ऐतिहासिक उत्पीड़न और उनके संघर्षों पर उन्होंने लगातार कलम चलाई है। उनकी रचनाएँ विश्व की हर प्रमुख भाषा में अनुदित हो चुकी हैं और इन्हें विदेशों में भी पढ़ाया जाता है। उनकी रचनाओं पर कोई पीएचडी हो चुकी हैं। उनकी किताब अमेजन समेत सभी ऑनलाइन स्टोर पर उपलब्ध है। पेपरबैक की क़ीमत है 247 रुपए