दिल्ली से गुरुग्राम को जोड़ने वाले द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण में सबसे बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा है। ये खुलासा ऑडिटर कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) की रिपोर्ट से हुआ है। CAG की रिपोर्ट के मुताबिक 29.06 किलोमीटर लंबे द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण में लागत में महाभ्रष्टाचार हुआ है. यह मंत्रालय बीजेपी नेता नितिन गडकरी के अधीन आता है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस बारे में ट्वीट किया और मोदी सरकार पर निशाना साधा. अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा कि मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के 75 वर्ष के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए.
यह भ्रष्टाचार ‘भारतमाला परियोजना (BPP-1) के चरण-1 में हुआ है। सीएजी ने पिछले दिनों ही इस प्रोजेक्ट के बारे में अपना ऑडिट रिपोर्ट संसद में पेश किया है। इसमें बताया गया है कि आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की ओर से द्वारका एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट के लिए प्रति किलोमीटर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट के लिए 18.20 करोड़ रुपये की हरी झंडी दी थी। लेकिन, एनएचएआई के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर ने प्रति किमी 250.77 करोड़ रुपये के कंस्ट्रक्शन कॉस्ट की मंजूरी दे दी। यानी CCEA की ओर से स्वीकृत राशि से 14 गुना ज्यादा हो गई। इसी के साथ इस प्रोजेक्ट का कॉस्ट 7,287.29 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
14 लेन वाले द्वारका एक्सप्रेसवे का निर्माण दिल्ली से गुरुग्राम को जोड़ने के लिए किया गया है। इसके तहत दिल्ली और गुरुग्राम के बीच नेशनल हाईवे 48 (NH 48) के सामानांतर विकसित किया गया है। ताकि नेशनल हाईवे पर भीड़ को कम किया जा सके।इसके साथ ही कैग ने अपनी रिपोर्ट में भारत माला परियोजना के तहत बन रहे सकड़ों के स्वीकृत और लागत राशि पर भी सवाल उठाया है।
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार सीसीईए ने भारतमाला प्रोजेक्ट को हरी झंडी देते वक्त 18.2 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की लागत तय की थी। बाद में एनएचएआई के बोर्ड ने द्वारका एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट का सिविल कॉस्ट बढ़ा कर 7287.3 करोड़ रुपये कर दिया। मतलब कि हर किलोमीटर सड़क निर्माण की लागत 251 करोड़ रुपये हो गया। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने भी इस सन्दर्भ में सवाल उठाये है.
इतना भारी खर्च की जरूरत नहीं
सीएजी का कहना है कि हरियाणा में द्वारका एक्सप्रेसवे का हिस्सा करीब 19 किलोमीटर का है। वहां इस सड़क में आठ लेन का एलीवेटेड मेन कैरिजवे होगा और छह लेन का ग्रेड रोड। जब एनएचएआई को हरियाणा सरकार ने फ्री में 90 मीटर चोड़ी जमीन दी है, तो वहां एलिवेटेड सड़क क्यों बनाई जा रही है। इतनी जमीन में तो आराम से 14 लेन की सड़क बन जाती। सीएजी का कहना है कि प्रोजेक्ट कॉस्ट में इतनी बढ़ोतरी इसलिए हुई क्योंकि वहां मैसिव स्ट्रक्चर बनाया जा रहा है।
CAG द्वारा जो रिपोर्ट तैयार की गई है, उसमें 2017 से 2021 तक के कई प्रोजेक्ट्स का ऑडिट किया गया है जो NHAI के कार्यक्षेत्र में आते हैं. द्वारका एक्सप्रेस-वे के अलावा दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेस-वे पर भी सवाल हैं, ऑडिट के मुताबिक ये पूरा प्रोजेक्ट CCEA द्वारा अप्रूव किए गए प्रोजेक्ट की लिस्ट में नहीं था, यहां करीब 33 हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट को NHAI ने अपने स्तर पर ही अप्रूव किया.
कैग की रिपोर्ट कहता है कि देश में भारतमाला परियोजना-1 के तहत करीब 76999 किमी. हाइवे बन रहे हैं, इनमें 70950 किमी. हाइवे NHAI बना रही है. कंस्ट्रक्शन के दौरान एनएचएआई ने कई फैसले ऐसे लिए हैं, जिनकी कोई जवाबदेही नहीं रही है. CCEA ने भारतमाला प्रोजेक्ट-1 के लिए जो नियमावली तय की थी, उसे इस एजेंसी द्वारा सही तरीके से लागू नहीं किया गया.
NHAI को लेकर कई खुलासे हुए हैं, जिनमें 50 में से 35 प्रोजेक्ट हैं जहां टेंडर से जुड़ी प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ है. उदाहरण के तौर पर शामली-मुजफ्फरनगर, दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेस-वे समेत कुछ ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जहां प्रोजेक्ट अप्रेजल-टेक्निकल स्क्रूटनी कमेटी में नीति आयोग के किसी सदस्य को ही शामिल नहीं किया गया था.
कैबिनेट अप्रूवल वाला कॉस्ट चार लेन की सड़क का
एनएचएआई के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि केबिनेट जो प्रति किलोमीटर सिविल कॉस्ट का अप्रूवल दिया है, वह तो चार लेन की सड़क का है। द्वारका एक्सप्रेसवे 14 लेन का बनाया जा रहा है। इसमें आठ लेन का एक्सेस कंट्रोल्ड रोड है और छह लेन का सर्विस रोड। एक्सेस कंट्रोल्ड रोड का अधिकांश सेक्शन एलिवेटेड ही है। इसलिए प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ा है। इस बढ़े हुए कॉस्ट को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग की भी मंजूरी मिली है।