भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी CAG की एक रिपोर्ट में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. जिसमें बताया गया है कि इस योजना के करीब 7.5 लाख लाभार्थी एक ही मोबाइल नंबर पर रजिस्टर्ड हैं. इस मोबाइल नंबर में सभी 10 नंबर में 9 का अंक (9999999999) है. लोकसभा में पेश आयुष्मान भारत योजना के ऑडिट पर अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने ये चौंकाने वाली जानकारी दी.CAG ने अपनी रिपोर्ट 8 अगस्त को लोकसभा में पेश की, जिसमें सितंबर 2018 से मार्च 2021 तक के परफॉर्मेंस ऑडिट रिजल्ट शामिल किए गए हैं।
CAG ने रिपोर्ट में किया है इन नंबरों का जिक्र
CAG की वेबसाइट पर मौजूद इस ऑडिट रिपोर्ट में नंबरों का जिक्र भी किया गया है। खास बात ये है कि जिस मोबाइल नंबर से ये करीब 7.5 लाख लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया था, वो नंबर भी गलत था, यानी उस नंबर का कोई भी सिम कार्ड नहीं है. बीआईएस के डेटाबेस के एनालिसिस से इतनी बड़ी संख्या में फर्जी रजिस्ट्रेशन का खुलासा हुआ. ऐसा ही एक दूसरे मामले का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है, जिसमें बताया गया है कि करीब 1 लाख 39 हजार 300 लोग एक दूसरे नंबर 8888888888 से जुड़े हुए हैं, वहीं 96,046 अन्य लोग 90000000 नंबर से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा ऐसे ही करीब 20 नंबर भी सामने आए हैं, जिनसे 10 हजार से लेकर 50 हजार लाभार्थी जुड़े हुए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि सीएजी की रिपोर्ट में कुल 7.87 करोड़ लाभार्थियों का रजिस्ट्रेशन पाया गया, जो 10.74 करोड़ (नवंबर 2022) के लक्षित परिवारों का 73% है. इसके बाद सरकार ने इसका दायरा बढ़ाकर 12 करोड़ कर दिया था.
रिपोर्ट में बताया गया है कि डेटाबेस में किसी भी लाभार्थी से जुड़ा हुआ रिकॉर्ड तलाशने के लिए मोबाइल नंबर काफी जरूरी है. इससे कोई भी बिना आईडी कार्ड के रजिस्ट्रेशन डेस्क से संपर्क कर सकता है. अगर मोबाइल नंबर ही गलत हो तो ई-कार्ड खो जाने की स्थिति में लाभार्थी की पहचान करना मुश्किल हो सकता है. यानी इसके बाद लाभार्थी को योजना का लाभ मिलना लगभग नामुमकिन सा हो जाएगा. अस्पताल उन्हें सुविधा देने से इनकार कर देंगे और लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
CAG की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 43,197 घरों में परिवार का आकार 11 से 201 सदस्यों तक का था। एक घर में इतने सदस्यों का होना न केवल रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के दौरान वेरिफिकेशन में फर्जीवाड़े को दिखाता है, बल्कि इस बात की भी संभावना है कि लाभार्थी इस योजना में परिवार की परिभाषा स्पष्ट न होने का फायदा भी उठा रहे हैं।