देशभर में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है और इसके बाद एक सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. हालांकि सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की तस्वीर को लेकर विपक्षी पार्टियां समेत कई संघटनों ने आपत्ति जताई है. अब केंद्र सरकार ने फोटो को लेकर सफाई दी है। सरकार ने बड़ा ही मजेदार जवाब देते हुए कहा है की यह ‘व्यापक जनहित’ में है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री भारती पवार ने राज्य सभा में एक लिखित जवाब में यह बात कही.
वैक्सीन के प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर और संदेश लोगों में कोविड-19 से संबंधित उचित तरीके अपनाने और वैक्सीन के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने में मदद करती है. ये तर्क सरकार ने कांग्रेस राज्यसभा सांसद और पूर्व पत्रकार कुमार केतकर के संसद में पूछे गये सवाल पर दिया. केतकर ने पूछा था कि क्या कोविड-19 वैक्सीन के प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाना ज़रूरी और अनिवार्य है. केतकर ने ये भी पूछा कि इसके पीछे की वजह क्या है और किसने इसे अनिवार्य किया.
राज्य मंत्री (स्वास्थ्य ) भारती प्रवीन पवार ने जवाब देते हुए कहा कि महामारी जिस तरह से खुद को लगातार विकसित कर रही है उसे देखते हुए कोविड से जुड़ी हुई सावधानियों को बरतना ही इसे फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका है और जनहित को देखते हुए प्रधानमंत्री की तस्वीर के साथ वैक्सीन प्रमाणपत्र पर संदेश लोगों में जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के अहम संदेश को लोगों तक प्रभावी तरह से पहुंचाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है.
मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि कोविड-19 वैक्सीन के प्रमाणपत्र का प्रारूप जो को-विन के जरिए इश्यू किया जा रहा है, उसे डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश के अनुसार तैयार किया गया है.
केतकर ने सरकार से ये सवाल भी पूछा था कि क्या इससे पहले किसी भी सरकार ने कोई और वैक्सीन जैसे पोलियो, स्मॉल पॉक्स आदि पर इस तरह की तस्वीर को अनिवार्य रूप से छापा था. सरकार की तरफ से इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया गया.