गुजरात हाईकोर्ट ने ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी के खिलाफ मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सत्र न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा.राहुल गांधी पर आए गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में समर्थकों की भारी भीड़ जुटी है. समर्थक यहां राहुल गांधी के समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं, साथ ही संघर्ष में उनके साथ होने की बात कर रहे हैं.
मोदी सरनेम से जुड़े मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने राहुल गांधी की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है. गुजरात हाईकोर्ट का कहना है कि ट्रायल कोर्ट का दोषी ठहराने का आदेश उचित है, उक्त आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है, इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है. कोर्ट ने आगे कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं. बता दें कि जस्टिस प्रच्छक ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वह ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अंतिम आदेश पारित करेंगे.
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राहुल गांधी अब 2024 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे और न ही संसद सदस्य (सांसद) के रूप में अपनी स्थिति के निलंबन को रद्द करने की मांग नहीं कर पाएंगे. वह हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं. राहुल की लोकसभा सदस्यता पहले ही जा चुकी है.
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले 13 अप्रैल को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘मोदी सरनेम’ पर बयान दिया था. गुजरात में बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी की ओर से दायर 2019 मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी.
इसके बाद 24 मार्च को राहुल गांधी की सदस्यता रद्द हो गई. 25 मार्च को राहुल गांधी ने माफी मांगने से इनकार कर दिया. 27 मार्च को सरकारी बंगला छोड़ने का नोटिस मिला. 22 अप्रैल को राहुल गांधी ने बंगला खाली कर दिया. सूरत सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, मगर राहत नहीं मिली. इसके बाद हाईकोर्ट से अपने फैसले पर पुर्नविचार करने की अपील की गई.
गुजरात हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब राहुल गांधी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं या फिर अपनी सांसदी को वापस बहाल करने की मांग नहीं कर सकते हैं. वह अब सुप्रीम कोर्ट में गुजरात हाईकोर्ट के खिलाफ याचिका दायर कर सकते हैं. अगर सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिलती है, तभी उनके लिए चुनाव लड़ने का रास्ता खुलेगा.
फैसले पर विपक्षी पार्टियां
शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के संजय राउत ने गुजरात हाईकोर्ट के इस फैसले पर टिप्पणी की है. संजय राउत का कहना है कि इस फैसले से देश सहमत नहीं है, ऐसे केस में कैसे सदस्यता खत्म की जाती है. इतने बड़े-बड़े अपराधी बैठे हैं, उन्हें जेल में भेजना चाहिए. एक बयान पर राहुल गांधी की सदस्यता वापस ले ली जाती है, जबकि बड़े घोटाले करने वाले लोगों को मंत्री बनाया जा रहा है.