मराठा आरक्षण रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मराठा समाज आरक्षण बहाली के लिए आज फिर एक बार मूक (Silent) आंदोलन कर रहा है। आंदोलन की शुरुवात राज्यसभा सांसद छत्रपति संभाजी राजे के नेतृत्व में कोल्हापुर के छत्रपति शाहू महाराज समाधि स्थल से ही चुकी है। हजारों की संख्या में मराठा समुदाय से जुड़े लोग यहां शांत बैठकर प्रोटेस्ट कर रहे हैं।
हालांकि, कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इस आंदोलन को प्रशासन की मंजूरी नहीं है, इसके बावजूद हजारों की संख्या में मराठा समाज से जुड़े लोग यहां पहुंचे हैं। इस आंदोलन की टैगलाइन दी गई है, ‘हमने बोल दिया, अब जनप्रतिनिधियों को बोलना है।’ आज के प्रोटेस्ट पर नजर रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। मराठा समुदाय से जुड़े लोगों के अलावा आंदोलन स्थल पर कोल्हापुर के पालक मंत्री सतेज पाटिल, स्वास्थ्य राज्य मंत्री राजेंद्र पाटिल याडवकर, शिवसेना सांसद संजय मांडलिक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल मौजूद हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है की बहुजन वंचित अघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर इस आंदोलन में प्रमुखतासे शामिल है.सामाजिक सौहार्द के लिए प्रकाश आंबेडकर और राजे छत्रपति संभाजी महाराज ने पहल की है. जिसके कारण महाराष्ट्र में सामाजिक सद्भावना का अच्छा सन्देश गया है.
इससे पहले मंगलवार को कोल्हापुर में संभाजी राजे ने कहा कि मूक आंदोलन में मराठा समाज की ओर से कोई नहीं बोलेगा। हमें मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार की भूमिका जाननी है। इसलिए सरकार के मंत्री, विधायक और सांसद अपनी भूमिका स्पष्ट करेंगे। संभाजी राजे ने कहा कि पहले चरण में कोल्हापुर के बाद नासिक, अमरावती, औरंगाबाद और रायगढ़ में मूक आंदोलन होगा। उन्होंने कहा कि मराठा समाज मूक मोर्चा नहीं बल्कि मूक आंदोलन कर रहा है। इसलिए मेरी अपेक्षा है कि कोरोना संकट में मराठा समाज के लोग सड़क पर न उतरें।
आंदोलन में शामिल होने वालों के लिए इन बातों का ध्यान रखना जरुरी
आंदोलन में शामिल सभी लोग काले कपड़े में होंगे।
सभी ने हाथ या माथे पर काला रिबन बांधा होगा।
सभी को काला मास्क पहनना चाहिए।
सभी लोग हो सके तो सैनिटाइजर लेकर आएं।
आंदोलन के स्थान पर हमें ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए जिससे दूसरों को परेशानी हो।
सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन का पालन करें।
मराठा समाज की मांगे
राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर करनी चाहिए। जस्टिस गायकवाड़ आयोग की सिफारिशों को सही ढंग से अदालत के सामने रखना चाहिए। कोर्ट रिव्यू पिटीशन को खारिज करती है तो क्यूरेटिव पिटीशन का विकल्प रखना चाहिए।
- प्रत्येक राजस्व विभाग में ‘सारथी’ कार्यालय प्रारंभ होने चाहिए तथा इसके अंतर्गत प्रत्येक जिले में ‘सारथी’ के उपकेन्द्र प्रारंभ किए जाने चाहिए। प्रत्येक जिले में सारथी उपकेन्द्र प्रारंभ कर शिक्षा, रिसर्च एवं प्रशिक्षण गतिविधियों को संचालित किया जाना चाहिए।
- शहर में पढ़ाई के लिए गए, मराठा समुदाय के छात्रों को आर्थिक कठिनाइयों के कारण आवास और भोजन नहीं मिलता है। इसके लिए पंजाबराव देशमुख छात्रावास जीवन निर्वाह भत्ता फिलहाल सरकार की ओर से दिया जाता है। मुंबई, नागपुर, पुणे जैसे महानगरों में पढ़ने वाले छात्रों को 3000 रुपये और अन्य जगहों पर पढ़ने वाले छात्रों को 2000 रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाता है। इस राशि को बढ़ाया जाना चाहिए।
- सरकार को पहले चरण में जिला मुख्यालय में पिछड़े वर्ग के छात्रावासों की तर्ज पर मराठा छात्रों के लिए स्थायी छात्रावास स्थापित करना चाहिए।
आर्थिक रूप से कमजोर मराठाओं को मिला है 10% आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण को खारिज किए जाने के बाद मराठा समुदाय के आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) वर्ग के छात्रों और अभ्यर्थियों को 10% का आरक्षण देने का निर्णय 1 जून को उद्धव सरकार की ओर से लिया गया है।