उत्तराखंड के हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित धर्म संसद में विवादित भाषणों का मामला अभी थमा नहीं है, इसी बीच धर्म संसद की तरफ से हिंदू राष्ट्र के संविधान का मसौदा तैयार कर दिया गया है। वाराणसी में अपने आपको संत-विद्वान समझनेवाले 30 संतों और विद्वानों के समूह ने हिंदू राष्ट्र के संविधान का पहला मसौदा तैयार कर दिया है। हिंदू राष्ट्र के संविधान के मसौदे में भारत में रहने वाले मुस्लिम-ईसाइयों को वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जायेंगा । इसे पहली बार फरवरी में प्रयागराज में आयोजित धर्म संसद में प्रस्तावित किया गया था। आइए जानते हैं इस हिंदू राष्ट्र के संविधान के पहले मसौदे में क्या कुछ शामिल किया गया है..
माघ मेले में पेश होगा 32 पन्नों का मसौदा
संगम नगरी प्रयागराज के रेतीले तट पर माघ मेला-2023 में आयोजित होने वाले धर्म संसद में 32 पन्नों के हिंदू राष्ट्र के संविधान का मसौदा पेश किया जाएगा। पहले मसौदे में शिक्षा, रक्षा, कानून और व्यवस्था, मतदान प्रणाली, राज्य के मुखिया के अधिकार आदि के बारे में बताया गया है।
काशी बनेगी राजधानी, बनेगी धर्म संसद
संविधान के अनुसार, वाराणसी देश की राजधानी के रूप में नई दिल्ली की जगह लेगा। इसके अलावा काशी (वाराणसी) में ‘धर्म संसद’ बनाने का भी प्रस्ताव है। एक प्रस्ताव ये भी है कि मुस्लिम और ईसाई वोट देने के अधिकार नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा, प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण दिया जाएगा और कृषि को पूरी तरह से कर मुक्त (टैक्स फ्री) किया जाएगा।
प्रयागराज में पारित हुआ था प्रस्ताव
दरअसल फरवरी 2022 में, प्रयागराज में आयोजित धर्म संसद में भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था और एक संविधान का विचार सामने आया था। इसी के तहत संविधान का मसौदा तैयार किया गया है। मसौदा तैयार करने में विभिन्न क्षेत्रों की तीस प्रतिष्ठित हस्तियों ने योगदान दिया है।
कौन हैं संविधान तैयार करने वाले?
संविधान मसौदा समिति के संरक्षक स्वामी आनंद स्वरूप, शांभवी पीठाधीश्वर और शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष हैं। इसमें कामेश्वर उपाध्याय, अध्यक्ष, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बीएन रेड्डी, रक्षा विशेषज्ञ आनंद वर्धन, सनातन धर्म के विद्वान चंद्रमणि मिश्रा, डॉ. विद्या सागर आदि शामिल हैं।
हिंदू राष्ट्र के संविधान के कवर पेज पर क्या है? –
बात करें हिंदू राष्ट्र के संविधान के कवर पेज की तो इसमें सबसे पहले तो प्रस्तावित ‘अखंड भारत’ का मानचित्र दर्शाया गया है। ‘अखंड भारत’ के इस मान-चित्र के माध्यम से यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि जो देश भारत से अलग हो चुके हैं, भविष्य में उनका विलय किया जा सकता है। इसके अलावा कवर पेज में कुछ मंदिरों के ऊपर भगवा झंडा भी दिखाया गया है।
साथ ही अंदर के पृष्ठों में देवी-देवताओं और भारत की कुछ महान हस्तियों की तस्वीरें और चित्र भी हैं, जिनमें माँ दुर्गा, भगवान राम, भगवान कृष्ण, गौतम बुद्ध, गुरु गोबिंद सिंह, आदि शंकराचार्य, चाणक्य, वीर सावरकर, रानी लक्ष्मीबाई, पृथ्वीराज चौहान, स्वामी विवेकानंद आदि शामिल हैं। इसमें सबसे बड़ी बात तो ये है कि वीर सावरकर, रानी लक्ष्मीबाई, पृथ्वीराज चौहान जैसी सनातन की ऐतिहासिक हस्तियों को भी प्रमुखता दी गई है जो कि आज के समय की मांग ही नहीं बल्कि आज के हिन्दू समुदाय के युवाओं के प्रमुख आदर्श भी हैं।
750 पन्नों का होगा हिंदू राष्ट्र का संविधान
स्वामी आनंद स्वरूप ने बताया कि हिंदू राष्ट्र का संविधान 750 पृष्ठों का होगा और इसके प्रारूप पर अब व्यापक रूप से चर्चा की जाएगी। विभिन्न क्षेत्रों के धार्मिक विद्वानों, विद्वानों और विशेषज्ञों के साथ चर्चा और बहस होगी। इस आधार पर, संविधान का आधा हिस्सा (लगभग 300 पन्ने) ) प्रयागराज में आयोजित होने वाले माघ मेले यानि 2023 में जारी किया जाएगा, जिसके लिए धर्म संसद आयोजित की जाएगी।
इन्हें मिलेगा वोटिंग का अधिकार
संविधान की कुछ विशेषताओं के बारे में बात करते हुए, आनंद स्वरूप ने कहा कि यह एक कार्यकारी प्रणाली होगी जिसमें हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन सभी को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार मिलेगा। राष्ट्र में रहने वाले हर जाति के लोगों को सुविधा और सुरक्षा होगी।
ब्रिटिश व्यवस्था होगी खत्म.. 16 की उम्र में करेंगे वोट
संविधान में 16 साल की उम्र पूरी करने के बाद वोट देने का अधिकार दिया जाएगा, जबकि चुनाव लड़ने की आयु 25 साल तय की गई है। धर्म संसद के लिए कुल मिलाकर 543 सदस्य चुने जाएंगे। यह ब्रिटिश काल के नियमों को समाप्त कर देगा और सब कुछ वर्ण व्यवस्था के आधार पर चलाया किया जाएगा।
मुस्लिम और ईसाई नहीं कर सकेंगे वोटिंग
आनंद स्वरूप ने कहा कि मुस्लिम और ईसाई भी वोट के अधिकार को छोड़कर बाकी सभी आम नागरिक के सभी अधिकार मिलेंगे। स्वरूप ने कहा, ‘देश में उनका व्यवसाय करने, रोजगार पाने, शिक्षा और आम नागरिक को मिलने वाली सभी सुविधाओं के लिए उनका स्वागत है, लेकिन उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं दिया जाएगा।’
त्रेता और द्वापर युग के जैसे मिलेगी सजा और न्याय
उन्होनें बताया कि ब्रिटिश न्याय प्रणाली को खत्म कर दिया जाएगा, इसे त्रेता और द्वापर युग के आधार पर दंड और न्याय की प्रणाली को स्थापित किया जाएगा। वहीं गुरुकुल प्रणाली को फिर से शुरू करके आयुर्वेद, गणित, नक्षत्र, भूगर्भ, ज्योतिष में शिक्षा, आदि की शुरूआत की जाएगी। हिंदू राष्ट्र के संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के सदस्यों ने आशंका जाहिर की है कि इस समय RSS और बीजेपी सहित तमाम राजनीतिक पार्टियां उनसे चिढ़ी बैठीं हैं और किसी भी प्रकार से साम, दाम, दंड, भेद के सहारे इन सदस्यों को परेशान करने और प्रताड़ित करने का प्रयास कर सकती है. जबकि संघ सहित इन पार्टियों ने बजरंग दाल, हिन्दू युवा वाहिनी, श्रीराम सेना, गो-रक्षक दल और विश्व हिन्दू परिषद् जैसे तमाम हिन्दू संगठनों और उनकी शक्तियों को पहले ही समाप्त कर दिया है।
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