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कॉर्पोरेट मामलों ज्यादा जरुरी या आपराधिक, पारिवारिक और गरीब लोगों के मामले- सुप्रीम कोर्ट

कॉर्पोरेट मामलों ज्यादा जरुरी या आपराधिक, पारिवारिक और गरीब लोगों के मामले- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अपने समक्ष लगातार कॉर्पोरेट विषय तत्काल सुनवाई के लिए उठाये जाने का उल्लेख करते हुए सोमवार को कहा कि कमजोर वर्गों से जुड़े मामले और आपराधिक मामले पीछे रह जाते हैं। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब वरिष्ठ अधिवक्ता
सी.यू सिंह ने एक कॉर्पोरेट मामले को प्राथमिकता से सुनवाई के लिए रखा।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमें इंतजार करना होगा। हम व्यवस्था को सक्षम कर रहे हैं और यहां कंपनियां चाहती हैं कि उनके मामलों को पहले सूचीबद्ध किया जाए।’’ पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली भी शामिल रहे। पीठ ने आपराधिक अपीलों, पारिवारिक विवादों और गरीब लोगों के फैसलों के लिए लंबित मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि ये मामले पीछे रह जाते हैं।

इससे पहले चीफ जस्टिस ने कहा था कि सीधे शीर्ष अदालत की पीठों के बजाय उसके अधिकारियों के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए विषयों का उल्लेख करने की प्रणाली बनाई गयी है ताकि वरिष्ठ अधिवक्ताओं को उनके कनिष्ठ सहयोगियों की तुलना में ‘विशेष प्राथमिकता’ नहीं दी जाए।पीठ ने वकील प्रशांत भूषण से कहा था, ‘‘पहले आप रजिस्ट्रार के समक्ष उल्लेख करने के लिए जाएं और यदि अनुमति नहीं मिलती है तो पीठ के समक्ष उल्लेख करने का आपका अधिकार स्वत: ही बनता है।’’

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